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जंगल में धमाल

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अकेलेपन से जूझ रहे भोलू कुत्ते की प्रेम कहानी है वह ना चाहते हुए भी अपनी प्रेमिका परी कुत्तिया को उसकी एक्सीडेंट के बाद गुम हुई मालकिन के पास हमेशा के लिए छोड़ने जाता है इस सफर में एक रात को कम देखने वाला कम सुनने वाला गधा भोलू कुत्ते और परी कुत्तिया की मदद करते-करते उनको भी अपने साथ घने जंगल में फंसा लेता है उस जंगल में खूंखार नशेड़ी जानवरों के साथ-साथ ईमानदार बहादुर चतुर और मजाकिया जानवर भी थे इन सब के बीच फंसने के बाद भोलू कुत्ते और परी कुतिया के साथ जंगल में धमाल होता है यानी की मजेदार रोचक और डरावनी घटनाएं होती हैं और इस धमाल के कारण भोलू कुत्ते और पूरी कुतिया का मिलन हो जाता है।

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जंगल में धमाल
सदियों से पुराने बरगद के पेड़ के नीचे जो ढाबा था । उस ढाबे पर भोलू नाम का कुत्ता रहता था, जो अपने जीवन के अकेलेपन से बहुत दुखी रहता था, ऐसा नहीं था कि ढाबे का मलिक और ढाबे के नौकर उसका पूरा ध्यान नहीं रखते थे, बल्कि वह सब तो उसका खाने-पीने का ध्यान रखने के अलावा उससे बहुत प्यार भी करते थे। भोलू कुत्ता तो इसलिए दुखी रहता था, क्योंकि उस हाईवे रोड़ के पास बने ढाबे पर इंसानों के अलावा उसे कोई जानवर तो दूर पंछी भी दिखाई नहीं देता था, क्योंकि उस ढाबे के आसपास खेत जंगल पेड़ पौधों कि जगह खुला मैदान था, और सिर्फ एक पुराना बरगद का पेड़ था जिसके नीचे ढाबा बना हुआ था, खेत जंगल दुसरा ढाबा भी था, किंतु वह कुछ किलोमीटर कि दूरी पर था। जब भोलू कुत्ता दूर दौड़ कर खेतों जंगल में दुसरे जानवरों से मिलने जाता था, तो फसल को नुकसान पहुंचा रहे दुसरे जानवर नीलगाय बारहसिंगा आदि उससे डर कर दूर भाग जाते थे, क्योंकि भूरे रंग का भोलू कुत्ता कद काठी से चीते शेर जैसा दिखता था, लेकिन भोलू कुत्ता शरीर से जितना मजबूत था, दिल से उतना ही कोमल था और जब वह आगे वाले कालु कुत्ते के ढाबे पर जाता था तो कालु कुत्ता अपने साथी कुत्तों के साथ मिलकर भोलू कुत्ते को वहां से पीट पीटकर भगा देता था, दुसरा जब वह कुछ घंटों के लिए अपने ढाबे से गायब हो जाता था तो ढाबे का मलिक ढाबे पर बर्तन धोने वाले नौकर भगतराम को उसे ढूंढने जरूर भेजता था, क्योंकि ढाबे के आसपास सन्नाटा रहने के कारण ढाबे पर चोरी का बहुत डर रहता था और हटे कटे भोलू कुत्ते को देखकर चोर दूर से ही भाग जाते थे लेकिन जब ढाबे का नौकर भोलू कुत्ते को ढूंढते ढूंढते तंग आ जाता था और बहुत मुश्किलों से ढूंढने के बाद जब उसे भोलू कुत्ता मिलता था तो वह ढाबे का नौकर भगत राम भोलू कुत्ते को पीटता हुआ ढाबे पर लाता था, इस वजह से भोलू कुत्ता उसे देखते ही भयभीत हो जाता था इन हालातो की वजह से भोलू कुत्ते का दिन-ब-दिन अकेलापन बढ़ता ही जा रहा था। और एक रात भोलू कुत्ता अपना पेट भरकर हाईवे रोड़ के किनारे बैठकर आती-जाती गाड़ी मोटरों को देख रहा था तो उसे तभी एक महंगी गाड़ी में एक खूबसूरत बड़े-बड़े बालों वाली सफेद रंग कि कुत्तियां गाड़ी की खिड़की से झांकते हुए दिखाई देती है। गाड़ी को उस कुत्तिया की मालकिन चला (ड्राइव) रही थी। जब तक भोलू कुत्ता उस खूबसूरत कुत्तिया को ठीक से देख पाता वह गाड़ी उसकी आंखों से तेज स्पीड से ओझल हो जाती है। उस रात वहां से खूबसूरत कुत्तिया को जाता देख भोलू कुत्ते को बहुत सुकून महसूस होता है, उस रात के बाद से उसे नींद में भी उसी कुतिया के सपने दिखाई देने लगते हैं। और उस रात के बाद से भोलू कुत्ता रोज खाना खाकर या इधर-उधर अकेले खेल कूद कर हाईवे रोड़ के पास बैठकर उस कुतिया का दुबारा मिलने का इंतजार करने लगा था। ऐसे ही एक रात भोलू कुत्ता उस खूबसूरत कुत्तिया को दोबारा देखने का इंतजार कर रहा था, तभी एक महंगी कार का गन्ने से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली से एक्सीडेंट हो जाता है। उस एक्सीडेंट के बाद हाईवे रोड़ पर जाम लग जाता है और कुछ लोग पुलिस के आने से पहले गाड़ी चला रही महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए निकल जाते हैं, क्योंकि वह महिला ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ भीड़त में गंभीर रूप से घायल हो गई थी। कुछ देर बाद पुलिस वहां आ कर गन्ने से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली वाले ड्राईवर को गिरफ्तार करके थाने ले जाती है। ढाबे पर इंसानों की ज्यादा भीड़ भाड़ होने की वजह से भोलू कुत्ता ढाबे से थोड़ा दूर जाकर कांटेदार झाड़ियां के पास जाकर बैठ जाता है, तभी उसे कांटेदार झाड़ियो के पास छोटे से सुखे गड्ढे से किसी जानवर के करहाने की आवाज सुनाई देती है। रात के अंधेरे में भोलू कुत्ता पहले तो डर कार भौंकने लगता फिर हिम्मत करके सूखे गड्ढे में झांक कर देखता है तो उसी ख़ूबसूरत घने बालों वाली सफेद रंग की कुत्तिया को देखकर खुशी से पागल हो जाता है जो रात दिन उसके सपने में आती थी, परंतु वह कुत्तिया भोलू को देखकर दर्द से कराहना छोड़कर भोलू की तरफ देखकर भोंकने लगती है। तब भोलू उस कुत्तिया से बहुत प्यार से कहता है “आप मुझसे डरो नहीं मैं आपको नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा।” “ठीक है मैं आपकी बात मान लेती हूं, लेकिन पहले मुझे इस गड्ढें से बाहर निकालो।” खूबसूरत कुत्तिया कहती है और गड्ढे से बाहर निकलते ही कुत्तिया अपना दुख दर्द भूल कर अपनी मालकिन को ढूंढने लगती हैं तब भोलू पूछता है? “जिस गाड़ी का अभी एक्सीडेंट हुआ था, आप उसी के अंदर बैठी हुए थी।” “हां मैं और मेरी मालकिन अपने घर जा रहे थे, तभी न जाने कहां से गन्ने से भरा ट्रैक्टर हमारी गाड़ी के आगे आ गया था, उसके बाद का मुझे कुछ भी याद नहीं है लेकिन अब ना तो मुझे दूर तक अपनी मालकिन दिखाई दे रही है और ना ही अपनी गाड़ी।” खूबसूरत कुतिया बोलती है? “आपकी गाड़ी को पुलिस वाले ले गए हैं और आपकी मालकिन को बहुत से इंसानों ने शहर के अस्पताल में पहुंचा दिया है।” भोलू कुत्ता बताता है यह है सुनकर खूबसूरत कुत्तिया रोने लगती है और रोते-रोते कहती है “इस अनजान ढाबे से में शहर पहुंच कर अपनी मालकिन को कहां और कैसे ढूंढ़ूंगी।” “रोना बंद करो मैं तुम्हें तुम्हारी मालकिन के पास शहर के अस्पताल तक पहुंचा दुंगा।”भोलू कुत्ता बोला “सच में तुम ऐसा कर दोगे तो यह परी तुम्हारा जीवन भर एहसान मनेगी।” खूबसूरत कुत्तिया कहती है “यह परी कौन है।” भोलू कुत्ता पूछता है? “मूर्ख बुद्धू परी मेरा नाम है बड़े-बड़े शहरों में ऐसे ही बात करते हैं।” खूबसूरत कुत्तिया बोली “आपका बहुत प्यारा नाम है और मेरा नाम भोलू है आज से परी जी भोलू आपका दोस्त हैं और यह भोलू ही आपको आपकी मालकिन तक पहुंचायेगा।” भोलू कुत्ता बोला “मुझे तुम्हारी बातों से पूरा यकीन हो गया है कि तुम मुझे मेरी मालकिन से मिलवा दोगे लेकिन यहां से चलने से पहले मुझे पेट भर खाना खिला दो भोलू दोस्त।” परी कुत्तिया बोली “बस इतनी सी बात मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लेकर आता हूं, तुम ढाबे के पास जो पानी का हेड पंप लगा हुआ है, वहां जाकर बैठ जाओ।” भोलू बोला ढाबे के सामने एक्सीडेंट होने की वजह से ढाबे पर एक दो ग्राहक ही बैठकर खाना खा रहे थे और भोलू अपने हिस्से का खाना ढाबे के नौकर भगत राम से लेकर खा चुका था, और उसे ढाबे पर खाना खा रहे ग्राहकों के खाने की टेबल के नीचे से नाम मात्र खाना मिलता है। इस वजह से वह भूख से तड़प रही परी को कालू कुत्ते के बड़े ढाबे पर खाना खिलाने ले जाने कि सोचता है, यह जानते हुए की कालू कुत्ता उसका सबसे बड़ा दुश्मन है और अगर ढाबे के नौकर भगत राम ने उसे परी के साथ ढाबे से भागता हुआ देख लिया तो परी के समाने ही उसे पीटना शुरू कर देगा। और जब उसे कालू कुत्ता अपने ढाबे पर नहीं मिलता है क्योंकि उस समय कालू कुत्ता अपने साथी कुत्तों के साथ जंगल में शिकार खेलने गया हुआ था, तो इसलिए खाली ढाबा देखकर भोलू खुद भी स्वादिष्ट भोजन स्वाद लेकर खाने लगता है और परी कुत्तिया को भी पेट भरकर खाना खिलाता है, किंतु दोनों के पेट भर के खाना खाकर वहां से निकलने से पहले ही वहां कालू कुत्ता अपने साथियों के साथ पहुंच जाता है और भोलू पर हमला कर देता है। भोलू को जब कालू कुत्ता और उसके साथी कुत्ते बुरी तरह पीटते हैं तो परी दोनों के झगड़े को शांत करने की कोशिश करने लगती है तब कालू कुत्ते की खूबसूरत घने बालों वाली परी कुत्तिया पर नजर पड़ती है, तो इस वजह से कालू भोलू से झगड़ना छोड़कर परी से पूछता है? “तुम इस भोलू कुत्ते को कहां से मिल गई हो।” तब परी अपनी आप बीती कालू कुत्ते को बताती है तो कालू कुत्ता उसकी सारी बात सुनकर कहता है “शहर तक पहुंचाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि शहर जाने के लिए तुम जिस जंगल को पर करोगे वहां बहुत ही खतरनाक नशेड़ी आवारा भेड़िया और गैड़ा रहते हैं, वह दोनों किसी भी हालत में तुम्हें जीवित नहीं छोड़ोगे और हां अगर तुम दोनों उनसे बच गए तो भी अपनी जान गवा दोगे क्योंकि उस जंगल में एक से एक अजीबो गरीब जानवर रहते हैं, वह तुम्हें इतनी आसानी से अपने जंगल को पार करके शहर नहीं पहुंचने देंगे।” “तो फिर कालू जी हम क्या करें।” परी कुत्तिया पूछती है? कालू कुत्ता कुछ सोच समझ कर कहता है “परी जी मैं भी तुम्हारे साथ शहर चलता लेकिन क्या करूं क्योंकि भेड़िया और गेंडा मेरे पक्के दुश्मन है, वह मुझे देखते ही जान से मार देंगे चालों मै

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